तारामीरा की खेती से किसानों को हो रहा दोहरा लाभ

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नमस्ते आज हम जानेंगे कि तारामीरा की खेती केसे होती है तो चलिए जानते है कि तारामीरा कि खेती कैसे होती है |

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तारामीरा की किस्में

टी-27, आईटीएसए, करनततारा, नरेंद्र तारा, ज्वाला तारा और जोबनेर तारा जैसी किस्में जो उत्पादन के लिए काफी उपयुक्त है.

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मिट्टी की आवश्यकता  

तारामीरा की खेती के लिए हर तरह की मिट्टी पर की जा सकती है. लेकिन बलुई दोमट मिट्टी इसकी खेती के लिए बहुत अधिक उपजाऊ मानी जाती है।

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तारामीरा का बीज 

इसकी खेती के लिए एक हेक्टेयर खेत में करीब 4 से 5 किलो बीज की आवश्यकता होती है. इसकी अच्छे उत्पादन के लिए बुवाई से पहले आप चाहें तो बीजोपचार करवा सकते हैं.

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बुवाई का समय 

बुवाई का सही समय अक्टूबर माह के पहले सप्ताह से नवंबर माह तक का महीना अच्छा माना जाता है

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तारामीरा की खेती की बुवाई 

तारामीरा की खेती के लिए जरुरी है इसकी बुवाई का तरीका. इसकी बुवाई के लिए कतार से कतार की दूरी 30 सेंटी मीटर और पौध से पौध की दूरी 10 सेंटी मीटर रखनी चाहिए.

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खाद का प्रयोग 

खाद की बात करें तो इसकी खेती के लिए खाद का सही उपयोग करना अनिवार्य है. किसान भाई 30 किलो नाइट्रोजन और 20 किलो फॉस्फोरस प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में डाल सकते है. 

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जैविक खाद  

कृषि वैज्ञनिकों ने भी इस बात की सलाह दी है कि जैविक खाद का तारामीर की खेती में उपयोग करने से फसल की पैदावार और फसल की गुणवत्ता अच्छी होगी

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सिंचाई प्रक्रिया 

तारामीरा की खेती के लिए पहली सिंचाई 40 से 50 दिन में फूल आने से पहले करनी होती है. उसके बाद दूसरी सिंचाई दाना बनते समय की जाती है 

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