Joo Ki Kheti: जौ की खेती कैसे करें और जानिए बुवाई का तरीका

जौ की खेती रबी मौसम की प्रमुख फसल मानी जाती है इसका उपयोग कई उत्पादों में किया जाता है, जैसे कि चारा, पशु चारा, चारा आदि 

जौ की खेती के लिए समशीतोष्ण जलवायु की आवश्यकता होती है। इसकी खेती मुख्य रूप से असिंचित क्षेत्रों में की जाती है।

जौ की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु

जौ खेती कई तरह की भूमि जैसे बलुई, बलुई दोमट या दोमट में की जा सकती है, लेकिन दोमट भूमि सर्वोत्तम मानी जाती है. इसकी बुवाई क्षारीय और लवणीय भूमि में करनी चाहिए

जौ की खेती के लिए उपयुक्त भूमि

- मिट्टी को मोटा बना लेना चाहिए। - खेत में पाटा लगाकर भूमि को समतल और गांठ रहित बनाना चाहिए। - खरीफ की फसल की कटाई के बाद हैरोटिंग करनी चाहिए।

जौ के खेत की तैयारी

जौ की खेती के लिए समय पर बुवाई करने से 100 किग्रा. बीज प्रति हेक्टेयर की जरूरत होती है. अगर बुवाई देरी से की गई है, तो बीज की मात्रा में 25 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी कर देना चाहिए

जौ के बीज की मात्रा

बुवाई पलेवा करके ही करनी चाहिए. ध्यान रहे कि पंक्ति से पंक्ति की दूरी 22.5 सेमी. की होनी चाहिए. अगर देरी से बुवाई कर रहे हैं, तो पंक्ति से पंक्ति की दूरी 25 सेमी. की रखनी चाहिए.

जौ की बुवाई का तरीका

कटाई तब करनी चाहिए जब फसल के पौधे और कलियां सूख कर पीली या भूरी हो जाएँ। अगर झुमके ज्यादा पके हुए हैं, तो झुमके के गिरने का खतरा बढ़ जाता है।

जौ की कटाई

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