Organic farming in India

जानिए क्या है पीपीजी मॉडल जिससे आगे बड़ेगी ऑर्गेनिक खेती, और किसानों पशुपालकों को होगा लाभ

PPG Model  : मध्यप्रदेश में नेचुरल खेती पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, कृषि विभाग कमेटी में कमल पटेल ने जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए बड़ा फैसला किया है. खेती मे पेस्टिसाइड और रासायनिक खाद (Chemical Fertilizer) अधिक मात्रा में उपयोग को पर रोक लगाने के लिए सरकार ने पीपीजी यानी (Public Private Goshala) मॉडल शुरू करने जा रही है

सरकार और निजी क्षेत्र की मदद से गौशालाओं को सीधे नर्सरी और खेत को जोड़ा जाएगा. जिससे किसानों और पशुपालकों अधिक लाभ होगा. किसानो को जोड़कर ऑर्गेनिक खेती खाद उपलब्ध करवाई जायेगी, इससे नेचुरल खेती करने मे आसानी होंगी और गौशालाओं की भी आय में वृद्धि होगी और वे आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ेंगी.

केंद्रीय कृषि मंत्रालय कमल पटेल ने कहा कि पशुपालन विभाग के साथ हमारा कृषि विभाग वैज्ञानिक रिसर्च कर प्रदेश की गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाएगा.पब्लिक प्राइवेट गौशाला (PPG) मॉडल में सरकार भी शामिल रहेगी. ताकि गौशालाएं ठीक से चलें. गोबर और गोमूत्र का ठीक से उपयोग हो जाए. इसके साथ ही किसान भाइयों को किफायती और अच्छी क्वॉलिटी का खाद मिले. सरकार चाहती है कि किसानों को सस्ती और अच्छी गुणवत्ता की नेचुरल खाद मिले, ताकि पेस्टीसाइड और रासायनिक खाद से मुक्ति मिले.जिससे पर्यावरण की रक्षा होगी, लागत भी कम आएगी और उत्पादन भी अच्छा होगा. 

मध्य प्रदेश में प्रमुख है जैविक खेती ( Organic farming is prominent in Madhya Pradesh) 

मध्य प्रदेश का नाम सबसे आगे होगा, ऑर्गेनिक फार्मिंग की बात की जाएगी तो यहां मध्यप्रदेश में 17.31 लाख हेक्टेयर में जैविक खेती हो रही है प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी ने जब से ऑर्गेनिक खेती मे जोर दिया है, तब से सरकार इस मामले में सक्त हो गई है, ऐसे मैं कृषि विभाग , पशुपालन सीमित इन सबकी नजर ऐसी खेती पर है. इस प्रकार की खेती को बढ़ावा देने के लिए विभाग ने एक योजना लागू की है, जिसके तहत नेचुरल खाद के लिए गौशालाओं को सीधे किसानो को से जोड़ा जाएगा.

प्रदेश में कितनी गोशालाएं

गौशालाओं की संख्या अच्छी खासी है. इसलिए जैविक खाद बनाने में कोई दिक्कत होगी. केंद्रीय कृषि मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2020-21 के दौरान मध्य प्रदेश में 103456 मीट्रिक टन जैविक खाद का उत्पादन हुआ. मुख्यमंत्री गौ-सेवा योजना और स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा 1768 गोशालाएं चलाई जा रही हैं. बताया गया है कि इनमें 2.5 लाख से ज्यादा गौवंश हैं. सरकार की 1141 गौशालाओं में 76941 एवं एनजीओ द्वारा चलाई जाने वाली 627 गौशालाओं में 1.74 लाख गौवंश की देखभाल की जा रही है.

आगर-मालवा के सुसनेर में 400 एकड़ में कामधेनु अभयारण्य विकसित हुआ है. बसावन मामा क्षेत्र (रीवा) में 51 एकड़ में गौवंश वन्य विहार विकसित हुआ है, जिसमें 4000 गौवंश हैं. दमोह जिले में भी 4000 गौवंश की क्षमता वाला वन्य विहार विकसित हो रहा है. इसी तरह जबलपुर के गंगईवीर में 10 हजार की क्षमता वाला गौवंश वन्य विहार विकसित हो रहा है.

 

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मैं नवराज बरुआ, में मुख्य रूप से इंदौर मध्यप्रदेश का निवासी हुं। और में Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मंडी मार्केट (Kisanguide.com) मूल रूप से मार्केट में चल रही ट्रेंडिंग खबरों को ठीक से समझाने और पाठकों को मंडी ख़बर, खेती किसानी की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।
Navraj Barua
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