beetroot farming in india

Beetroot Farming : चुकंदर की खेती केसे करे ?

चुकंदर की खेती कि जानकारी : चुकंदर की खेती कर कमाएं लाखों ओर जानिए की चुकंदर की खेती कैसे जी जाती हैं, चुकन्दर को अलग अलग प्रदेशों में अलग अलग मौसम मैं उगाया जाता है, इसी तरह इसे अलग अलग देशों में इसे अलग अलग नामों से जाना जाता है, हिंदी प्रदेशों में इसे चुकन्दार बोला जाता हैं, बांग्लादेश में चुकंदर को बीट गांछा बोला जाता है, ओर गुजराती में सलादा कहा जाता है वहीं दक्षिणी भारत में बीट समेत अलग अलग नामों से पुकारा जाता है यह भारत में पाई जाने वाली स्वास्थ्यप्रद सब्जियों में से एक है। फाइबर सहित विटामिन ए और सी से भरपूर चुकंदर में पालक सहित किसी भी अन्य सब्जी की तुलना में अधिक मात्रा में आयरन होता है। चुकंदर एनीमिया, अपच, कब्ज, पित्ताशय विकार, कैंसर, हृदय रोग, बवासीर और गुर्दे के विकारों के इलाज में फायदेमंद है।

चुकंदर की खेती (Beetroot Farming)

भारत में चुकंदर की खेती साल भर तक की जाती है। लेकिन विभिन्न देशों की मिट्टी और जलवायु के अनुसार इसकी खेती के समय में थोड़ा बदलाव होता है। चुकंदर सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसलिए बाजार में इसकी मांग ज्यादा बनी हुई है। किसान चुकंदर की खेती व्यावसायिक रूप से बड़े पैमाने पर और सीमित रूप में अपनी छोटी जमीन पर भी कर अपनी आय बढ़ा सकते हैं। मैं यहां चुकंदर की खेती की विधि के बारे में विस्तार से बता रहा हूं ताकि इसमें रुचि रखने वाले किसानों को जानकारी मिल सके।

चुकंदर की बुवाई (Beet sowing )

चुकंदर ठंडी के मौसम में जलवायु में उगाई जाने वाली सब्जी है। देश के अधिकांश हिस्सों में इसकी बुवाई अगस्त और सितंबर से शुरू हो जाती है। लेकिन दक्षिण भारत में बुवाई फरवरी से मार्च तक भी शुरू हो जाती है। इसके लिए दोमट बलुई मिट्टी अच्छी मानी जाती है। चुकंदर की खेती के लिए क्षारीय मिट्टी हानिकारक होती है। सब्जी के रूप में उपयोग करने के लिए इसे अपने किचन गार्डन या गमले में भी उगा सकते हैं।

चुकंदर की उन्नत किस्में (Improved varieties of beetroot)

चुकंदर के अलग-अलग किस्में हैं. वैसे यह ऊपर से देखने में गाढ़ा बैगनी और भूरे रंग का होता है. काटने पर लाल रंग का तरल पदार्थ निकलता है. अलग अलग किस्म के चुंकदर को तैयार होने में अलग-अलग समय लगता है. चुकंदर के जो किस्में है उसमें रोमनस्काया,डेट्राइट डार्क रेड, मिश्र की क्रासबी, क्रिमसन ग्लोब और अर्लीवंडर आदि प्रमुख है. खेत में बोने के बाद 50-60 दिनों में चुकंदर तैयार हो जाता है. कुछ विशेष प्रजातियों का चुकंदर 80 दिनों में तैयार होता है.

चुकंदर की खेती हेतु मिट्टी का चुनाव (Soil selection for sugar beet cultivation)

चुकंदर की खेती समतल और दोमट बलुई मिट्टी में भी जा सकती है. ह्लांकि समतल भूमि में इसकी खेती करना आसान है समतल भूमि में इसकी खेती करने के लिए कुछ दूरी रखते हुए क्यारियों का निर्माण करना पड़ता है. क्यारियों में चुकंदर के बीज की रोपाई पंक्तिबद्ध रूप से की जाती है. प्रत्येक लाइन की के बीच लगभग एक फिट की दूरी रखनी चाहिए.

चुकंदर की खेती से लाभ (Benefits of beetroot farming)

चुकंदर की अलग अलग किस्मों की प्रति हेक्टेयर औसतन उपज 150 से 300 क्विंटल होती है. किसानों को 20 रूपए से लेकर 50 रूपये प्रति किलो की दर से उनकी उपज की कीमत मिल जाती है. उच्च गुणवत्ता वाले चुकंदर को इससे अधिक दाम पर भी बिक्री की जा सकती है. इस दृष्टि से देखा जाए तो किसान भाई एक हेक्टेयर भूमि में चुकंदर की खेती कर एक बार में दो लाख रुपए से अधिक की आय कर सकते हैं.

इस आर्टिकल के जुड़े कुछ सवाल/जवाब

Q.01) चुकंदर का बीज कहाँ मिलता है?
Ans: चुकंदर का बीज किसी भी एग्रीकल्चर शॉप पर आसानी से मिल जाता है इसे आप Amazon, Flipkart शॉपिंग ऐप्स से भी खरीद सकते हैं
Q.02) चुकंदर का बीज कैसे होता है ?
beetroot seed
Ans: चुकंदर का बीज इस प्रकार दिखाई देता है
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मैं नवराज बरुआ, में मुख्य रूप से इंदौर मध्यप्रदेश का निवासी हुं। और में Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मंडी मार्केट (Kisanguide.com) मूल रूप से मार्केट में चल रही ट्रेंडिंग खबरों को ठीक से समझाने और पाठकों को मंडी ख़बर, खेती किसानी की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।
Navraj Barua
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