Fennel Farming: सौंफ की खेती कैसे होती है? और जानें उन्नत किस्मों की जानकारी।
Fennel Farming | सौंफ की खेती कैसे होती हैं | Fennel Varieties |
नमस्ते किसान भाईयों आज के आर्टिकल में हम सौंफ की खेती (Fennel Farming) कैसे होती हैं, सौंफ की खेती कहाँ होती है, खेत में बीज कैसे बोया जाता है आदि विषयों पर जानकारी देंगे तो चलिए शुरू करते हैं।
सौंफ एक प्रमुख मसाला फसल है। सौंफ की व्यावसायिक रूप से वार्षिक जड़ी बूटी के रूप में खेती की जाती है। इसके दाने आकार में छोटे और हरे रंग के होते हैं। सौंफ का उपयोग अचार बनाने और सब्जियों में सुगंध और स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है। इसके अलावा इसका उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है। सौंफ त्रिदोषनाशक औषधि है। सौंफ को देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है।
सौंफ से तेल भी निकाला जाता है, इसकी खेती मुख्य रूप से गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में की जाती है। उत्पादक वैज्ञानिक विधि से सौंफ की खेती करें तो इसकी फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
रबी में
फसल अवधि: 190 से 210 दिन
बुवाई का समय: 15 सितंबर से 15 अक्टूबर के बीच
तापमान, मिट्टी की तैयारी व खेत की जुताई
सौंफ की फसल के लिए बलुए दोमट मिटटी अच्छी मानी जाती है। इस फसल के लिए मिटटी का पी एच मान 5.5 से 7.5 के बीच होना चहिए। इस फसल के लिए ज्यादा जुताई की जरुरत नहीं होती है। पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से तथा बाद में 2 से 3 जुताई देशी हल या कल्टीवेटर से करके खेत को समतल बनाकर पाटा लगते हुए एक सा बना लिया जाता है। आख़िरी जुताई के समय 5 से 6 टन सड़ी गोबर की खाद डाल दे।
बीज उपचार
हाइब्रिड बीज पहले से उपचारित आते है इनकी सीधी बुवाई की जा सकती है। अगर घर पर तैयार किया हुआ या देसी बीज की बुवाई करते है तो इसे कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम + थिरम 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचारित कर ले।
उन्नत किस्में (Varieties)
Gujrat Fennel 1: यह किस्म 255 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। यह किस्म सूखे को सहनेयोग्य हैं इसकी औसतन पैदावार 6.6 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
CO 1: यह किस्म मध्य लंबी और 220 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी खेती खारी और पानी रोकने वाली ज़मीनों में भी की जा सकती है। इसकी औसतन पैदावर 3 क्विंटल प्रति एकड़ होती हैं।
सौंफ की बहुत सी प्रजातियां पाई जाती है।
35, आर. .ऍफ़ 101, आर.ऍफ़ 125, एन पी.डी. 32 एवं एन पी. डी. 186, एन पी.टी. 163, एन पी. के. 1, एन पी.जे. 26, एन पी.जे. 269 एवं एन पी. जे 131, आदि है।
आर. एफ-125
इसके पौधे छोटे होते है तथा यह किस्म अपेक्षाकृत जल्दी पकने वाली होती है इस किस्म से 17.30 क्विंटल प्रति हक्टेयर उपज ली जा सकती है।
एन.आर.सी.एस.एस. ए. एफ-1
इसका पौधा बड़ा तथा शाखाओं युक्त होता है। जिस पर बड़े आकार के पुष्पछत्रक होते है। इसके दाने बोल्ड होते है यह किस्म 180-190 दिन में पक कर तैयार हो जाती है
बीज की मात्रा
सौंफ की 1 एकड़ फसल तैयार करने के लिए 4 किलोग्राम बीज की जरुरत होती है।
बुआई का तरीका
सौंफ की फसल को सीधी बुवाई या रोपाई दोनों प्रकार से कर सकते है। रोपाई के समय लाइन से लाइन की दूरी 60 सेंटीमीटर तथा पौधे से पौधे की दूरी 45 सेंटीमीटर रखे। नर्सरी से पौध तैयार करने में 40 से 45 दिन का समय लगता है।
उर्वरक व खाद प्रबंधन
सौंफ की 1 एकड़ फसल के लिए 5 से 6 टन गोबर की खाद, 25 किलोग्राम डी ए पी, 15 किलोग्राम पोटाश का इस्तेमाल करे। 30 से 35 दिन की फसल में 1 एकड़ खेत में 30 किलोग्राम यूरिया, 5 किलोग्राम जायम का इस्तेमाल करे। फूल बनते समय 1 एकड़ खेत में 20 किलोग्राम यूरिया खाद का इस्तेमाल करे।
सिंचाई
सौंफ की फसल को 5 से 6 सिंचाई की जरुरत होती है पौध रोपाई के तुरंत बाद सिचाई करे अगर सीधी बुवाई की है तो पहली सिंचाई 30 से 35 दिन बाद करे। फसल नमी के अनुसार 12 से 15 दिन पर सिचाई करते रहे।
फसल की कटाई
सौंफ के फूल आने के 50 से 60 दिन बाद गुच्छो को काटकर अलग कर ले। छाय में अच्छे से सूखाकर दानो को निकाल ले।
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