Paddy Farming : धान की खेती कैसे की जाती है जानने के लिए क्लिक करें
Dhan Ki Kheti (Paddy Farming) : धान राज्य की प्रमुख खरीफ फसल है। सिंचित क्षेत्रों में धान की खेती की जाती है। धान भारत की प्रमुख फसल है। यह मुख्य रूप से मानसून की खेती है लेकिन कई राज्यों में धान एक मौसम में दो बार उगाया जाता है।
देश के प्रमुख धान उत्पादक राज्य (Major paddy producing states of the country)
पश्चिम बंगाल
उत्तरप्रदेश
आंध्रप्रदेश
तेलंगाना
पंजाब
उड़ीसा
बिहार
छत्तीसगढ़
देश भर में 36.95 मिलियन हेक्टेयर में धान की खेती की जाती है। कृषि मंत्रालय के अनुसार, 2016-17 खरीफ सीजन में धान का उत्पादन 109.15 मिलियन टन था, जो पिछले सीजन की तुलना में 2.50 मिलियन टन (2.34%) अधिक है। यह पिछले पांच वर्षों में 3.54 प्रतिशत अधिक था।
पौध का चुनाव (Plant Selection)
जल प्रबंधन, भूमि और बाजार की मांग के अनुसार पौधे के प्रकार और उम्र का चयन करें। 25-30 दिनों की स्वस्थ धान की पौध रोपाई के लिए उपयुक्त होती है। जुलाई के दूसरे पखवाड़े में 60 दिन तक के पौधे रोपे जा सकते हैं। पौध को उखाड़ने से पहले नर्सरी में पानी लगाएं और खड़े पानी से पौधे को उखाड़कर मिट्टी को साफ कर रोपाई करें। खड़े पानी में पौधे को जड़ से उखाड़ने से बद्रा के रोग दूर हो जाते हैं।
असिंचित क्षेत्रों में पकने वाली किस्म (Variety growing in irrigated areas)
नरेन्द्र-118, नरेन्द्र-97, साकेत-4, बरानी दीप, शुष्क सम्राट
सिंचित क्षेत्रों के लिए जल्दी पकने वाली किस्म (Early maturing variety for irrigated areas)
पूसा-169, नरेन्द्र-80, पंत धान-12, मालवीय धान-3022, नरेन्द्र धान-2065 और मध्यम पकने वाली किस्मों में पंत धान-10, पंत धान-4, सरजू-52, नरेन्द्र-359, नरेन्द्र-2064, नरेन्द्र धान-2064, पूसा-44, पीएनआर-381 प्रमुख किस्में हैं। ऊसरीली भूमि के लिए धान की किस्में: नरेन्द्र ऊसर धान-3, नरेन्द्र धान-5050, नरेन्द्र ऊसर धान-2008, नरेन्द्र ऊसर धान-2009।
रोपाई करने का तरीका
खेत जोतने के बाद उसमें पानी भरकर अच्छी तरह मिला लें। बंजर भूमि में पौधे न लगाएं, इसे पानी से भरें और इसे लगाएं। यदि मूंग या ढेंचा हरी खाद उगाई गई हो तो उसे जोतकर पानी से जोतकर खेत में मिला दें और घोल बनाकर प्रतिरोपण करें। बौनी और अधिक उपज देने वाली किस्मों को 15 x 15 सेमी, लंबी बासमती और संकर किस्मों को 20 x 15 सेमी, देर से रोपाई के लिए पौधे से पौधे की दूरी 15 x 15 सेमी होनी चाहिए। बंजर भूमि में एक स्थान पर दो-तीन पौधे तथा एक स्थान पर तीन-चार पौधे लगाएं।
रोपाई का सही समय
धान की जया पीआर-106, 114, एचकेआर-120, 126, 127, पूसा-44 की रोपाई 15 जून से सात जुलाई तक, कम अवधि वाली किस्मों आईआर-64, एचकेआर-46 व 47 तथा गोविंद आदि की रोपाई जुलाई अंत तक पूरी कर सकते हैं। सभी बासमती किस्मों जैसे तरावड़ी बासमती, बासमती-370, पूसा बासमती नंबर वन, पूसा-1121, सुगंध-5 व 6, पूसा-1509, पेप्सी तथा सीएसआर-30 आदि की रोपाई जुलाई के पहले पखवाड़े में करें।
खाद व उर्वरक (Manures And Fertilizers)
यदि छह टन गाय का गोबर प्रति एकड़ खेत में डाला गया है तो लगभग 12 किलो नाइट्रोजन और 12 किलो फास्फोरस कम डालें। जिन खेतों में प्रयोग नहीं किया गया है, वहां एनपीके उर्वरकों की दो से तीन खुराकें डालें। मध्यम बौनी किस्मों में 50 किलो डीएपी, 25 किलो यूरिया, 40 किलो मुरेट पोटाश और 10 किलो जक प्रति एकड़ और नाइट्रोजन की शेष मात्रा तीन और छह सप्ताह के बाद रोपाई के समय डालें।
धान की रोपाई 15 जून के बाद से ही शुरू करें। कम समय वाली किस्मों एचकेआर-46, 47 आदि में रोपाई के समय डीएपी, पोटाश व ¨जक की मात्रा के साथ केवल 15 किलो यूरिया डालें तथा तीन-छह हफ्ते बाद 35-35 किलो यूरिया दो बार दें। लंबी बासमती किस्मों में रोपाई के समय केवल आधा कट्टा डीएपी तथा बौनी व हाइब्रिड बासमती में 25 किलो डीएपी व 25 किलो म्यूरेट पोटाश, 10 किलो ¨जक व 15 किलो यूरिया प्रति एकड़ दें। रोपाई के दो-तीन दिन बाद तक खड़े पानी में मैचिटी या प्रेटिलाक्लोर दवा की सिफारिश की गई मात्रा रेती में मिलाकर डालने से खरपतवार कम हो जाते हैं।
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